उत्तर:-पिटवाँ लोहा 92-गुप्त काल का प्रथम शासक कौन था।
2.
अधिक चिमड़ापन लाने के लिए मुख पर इस्पात और पीठ पर पिटवाँ लोहा लगाने की प्रथा चली।
3.
इसके अंतर्गत इस्पात और ढलवाँ लोहा (cast iron) तथा पिटवाँ लोहा (wrought iron) लोहा आते हैं।
4.
ढलवाँ लोहे, इस्पात और पिटवाँ लोहे में पिटवाँ लोहा ही अधिक अच्छा निकला और पहले इसी धातु का उपयोग किया जाता था।
5.
प्रत्येक धातु को खूब तपाने से वह ठोस से द्रव रूप में बदलने लगती है लेकिन पिटवाँ लोहा अथवा मुलायम इस्पात में एकदम ऐसा नहीं होता।
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प्रत्येक धातु को खूब तपाने से वह ठोस से द्रव रूप में बदलने लगती है लेकिन पिटवाँ लोहा अथवा मुलायम इस्पात में एकदम ऐसा नहीं होता।
7.
पिटवाँ लोहा और मुलायम इस्पात के टुकड़ों को सीधा जोड़ लगाने के लिए बहुधा तीन प्रकार के जोड़ों का उपयोग किया जाता है जिन्हें क्रमश: टक्कर का जोड़, ऊपर नीचे का जोड़, जिसे लप्पा लगाना भी कहते हैं, और चिरवाँ जोड़ कहते हैं।
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पिटवाँ लोहा और मुलायम इस्पात के टुकड़ों को सीधा जोड़ लगाने के लिए बहुधा तीन प्रकार के जोड़ों का उपयोग किया जाता है जिन्हें क्रमश: टक्कर का जोड़, ऊपर नीचे का जोड़, जिसे लप्पा लगाना भी कहते हैं, और चिरवाँ जोड़ कहते हैं।